Ashok Music Dj 2025

Ashok Music dj
Ashok Music Dj 2025

Ashok Music Dj

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Ashok Music DJ Sound Setup: The Best DJ Sound in Angul, Odisha

Introduction

Ashok Music DJ Sound Setup is a renowned DJ service provider in Angul, Odisha, known for offering top-notch sound systems and entertainment services. With a commitment to delivering high-quality sound and lighting, Ashok Music DJ has become a trusted name for creating memorable experiences at various events. Whether it’s a marriage ceremony, a corporate event, or a festive gathering, the team ensures a lively and engaging atmosphere for every occasion.

ज्ञान दर्पण

कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता मत करो

भगवद्गीता का यह महान उपदेश, “कर्म किए जा, फल की चिंता मत कर,” केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन को समझने और उसे जीने की एक गहरी दृष्टि है। यह उपदेश हमें अपने कर्तव्यों को निष्ठा और समर्पण से निभाने की प्रेरणा देता है, भले ही परिणाम हमारे अनुकूल हो या विपरीत। इस विचार का महत्व केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक स्तर पर भी व्यापक है। आइए इस गूढ़ सिद्धांत को एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।

कहानी: राजकुमार अर्जुन और संत का मार्गदर्शन

बहुत समय पहले एक राज्य में एक युवा राजकुमार अर्जुन रहता था। वह बुद्धिमान, परिश्रमी और अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्णतः समर्पित था। लेकिन उसके मन में एक बड़ा प्रश्न था—”मैं जो भी करता हूं, क्या उसका सही परिणाम मुझे मिलेगा? क्या मेरे प्रयास कभी व्यर्थ जाएंगे?” इस प्रश्न ने उसे अंदर से बेचैन कर दिया।

एक दिन, जब अर्जुन अपनी उलझनों के समाधान की तलाश में वन में विचरण कर रहा था, तब उसकी मुलाकात एक संत से हुई। संत शांतचित्त होकर ध्यान में बैठे थे। अर्जुन ने उनके चरण स्पर्श किए और अपनी समस्या उनके सामने रख दी।

अर्जुन का प्रश्न और संत का उत्तर

अर्जुन ने कहा, “हे गुरुदेव, मैं अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से करता हूं, लेकिन जब तक मैं परिणाम नहीं देखता, तब तक चैन नहीं मिलता। मुझे ऐसा लगता है कि मेरे सारे प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे यदि फल अच्छा न हो। क्या यह सही है?”

संत मुस्कराए और बोले, “वत्स, यह भ्रम तुम्हें जीवन के मूल सत्य से दूर ले जा रहा है। कर्म ही मनुष्य का धर्म है। परिणाम पर नियंत्रण रखना तुम्हारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है।”

अर्जुन इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने कहा, “गुरुदेव, यदि परिणाम पर हमारा नियंत्रण नहीं है, तो हम अपने प्रयासों को कैसे मापें? क्या यह उचित नहीं है कि मैं जानूं कि मेरे कर्म सफल होंगे या नहीं?”

संत ने गहराई से देखा और कहा, “चलो, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं।”

किसान और बीज की कहानी

संत ने कहानी आरंभ की: “एक समय की बात है, एक किसान ने अपनी भूमि पर बीज बोए। उसने कड़ी मेहनत की, मिट्टी को उपजाऊ बनाया, बीजों को सींचा और उनकी देखभाल की। लेकिन उसी वर्ष अत्यधिक बारिश हो गई और उसकी फसल खराब हो गई। किसान निराश नहीं हुआ। अगले वर्ष उसने फिर बीज बोए, और इस बार मौसम ने उसका साथ दिया। उसकी फसल इतनी अच्छी हुई कि उसने पिछले साल के नुकसान को भी पूरा कर लिया।”

संत ने पूछा, “बताओ अर्जुन, यदि किसान केवल परिणाम की चिंता करता और मेहनत करना छोड़ देता, तो क्या उसे यह सफलता मिलती?”

अर्जुन ने सिर झुकाकर उत्तर दिया, “नहीं गुरुदेव, यदि वह प्रयास नहीं करता, तो कभी सफल नहीं होता।”

जीवन का सार

संत ने कहा, “यह ही जीवन का नियम है। जो व्यक्ति केवल फल की चिंता में समय बर्बाद करता है, वह अपने कर्तव्यों से दूर हो जाता है। जैसे किसान अपनी मेहनत पर विश्वास करता है, वैसे ही हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। परिणाम स्वाभाविक रूप से आएंगे—कभी सकारात्मक, कभी नकारात्मक। लेकिन यदि तुम अपने कर्तव्यों को ईमानदारी और समर्पण से निभाओगे, तो जीवन तुम्हें संतोष और शांति प्रदान करेगा।”

अर्जुन को अब यह समझ आ चुका था कि फल की चिंता करना केवल समय की बर्बादी है। उसने संत से कहा, “गुरुदेव, अब मैं समझ गया हूं कि कर्म करना ही मेरा धर्म है। मैं अब अपने कार्यों को पूरी निष्ठा से करूंगा और उनके परिणामों को ईश्वर पर छोड़ दूंगा।”

आज के समय में उपदेश का महत्व

आज के आधुनिक युग में, यह उपदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रतिस्पर्धा, त्वरित सफलता की चाह, और परिणामों की निरंतर चिंता ने मनुष्य को तनावग्रस्त और बेचैन बना दिया है। लोग अपनी यात्रा पर ध्यान देने के बजाय मंजिल पर पहुंचने की जल्दी में हैं। लेकिन यदि हम इस उपदेश को अपने जीवन में उतार लें, तो न केवल हमारा काम बेहतर होगा, बल्कि हमारे मन को भी शांति मिलेगी।

उदाहरण के लिए, एक छात्र जो परीक्षा की तैयारी कर रहा है, यदि वह केवल परिणाम की चिंता करेगा, तो उसकी पढ़ाई में ध्यान नहीं रहेगा। लेकिन यदि वह पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई करेगा, तो न केवल वह अच्छे अंक प्राप्त करेगा, बल्कि आत्मसंतुष्टि भी महसूस करेगा।

निष्कर्ष

“कर्म किए जा, फल की चिंता मत कर” केवल एक साधारण वाक्य नहीं, बल्कि एक ऐसा मंत्र है जो हमें जीवन के हर पहलू में सफलता और संतोष की राह दिखाता है। यह हमें सिखाता है कि अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाना ही जीवन का सार है। फल की चिंता छोड़कर जब हम केवल अपने कर्मों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो न केवल हमें संतोष मिलता है, बल्कि हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा और दिशा का संचार होता है।

तो आइए, हम सभी इस महान उपदेश को अपने जीवन में अपनाएं और अपने कर्मों को पूरी लगन और समर्पण से करें।

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